
काम का बंदा कामा , मजदूरी से मजबूती तक
ये कहानी है उस इंसान की जिसे जब बचपन का सही मतलब तक पता नहीं था, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया और कंधों पर दो छोटे भाई और माता जी की जिम्मेवारी आई गई। अपनों घर से बाहर कर दिया, बड़े भाई ने एक पिता होने की जिम्मेवारी निभाई पढ़ाई की




















