काम का बंदा कामा , मजदूरी से मजबूती तक

ये कहानी है उस इंसान की जिसे जब बचपन का सही मतलब तक पता नहीं था, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया और कंधों पर दो छोटे भाई और माता जी की जिम्मेवारी आई गई। अपनों घर से बाहर कर दिया, बड़े भाई ने एक पिता होने की जिम्मेवारी निभाई पढ़ाई की

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काम का बंदा कामा , मजदूरी से मजबूती तक

ये कहानी है उस इंसान की जिसे जब बचपन का सही मतलब तक पता नहीं था, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया और कंधों पर दो छोटे भाई और माता जी की जिम्मेवारी आई गई। अपनों घर से बाहर कर दिया, बड़े भाई ने एक पिता होने की जिम्मेवारी निभाई पढ़ाई की मजदूरी तक की, अपने दोनों भाई का पढ़ाया यहीं नहीं एक इंटरव्यू में जसविंद्र सिंह कहते है उन्होंने सिर्फ इसलिए गटर तक साफ किया ताकि उन पैसों से वो अपनी बीवी का ईलाज तक करवा सके अपनों ने ही छीन ली बेटी की सांसेकामा भाई

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